Category Archives: संस्कृत व्याकरण

संस्कृत उपसर्गाः वृतयः


प्र प्र उपसर्ग का प्रयोग पञ्चदश अर्थों में होता हैं। आदिकर्माणि, भृशार्थे, सम्भवे, नियोगे, शुद्धौ, शक्तौ, शान्तौ, अग्रे, उदीर्णे, ऐश्वर्ये, वियोगे, तृप्तौ, इच्छायाम्, पूजायां, दर्शने संस्कृते आङ्गलयां हिन्दियि आदिकर्माणि The original actions मूल क्रियाएं भृशार्थे In the sense of a strong एक मजबूत के अर्थ में सम्भवे Possibly संभवतः नियोगे Employment रोजगार शुद्धौ Purification शुद्धि … Continue reading संस्कृत उपसर्गाः वृतयः

संस्कृत वर्णों के उच्चारण स्थान


संस्कृत वर्णों के उच्चारण स्थान कण्ठः अ, क, ख, ग, घ, अःतालु इ, च, छ, ज, झ, य, शमूर्धा ऋ, ट, ठ, ड, ढ, र, षदन्त लृ, त, थ, द, ध, सओष्ठ उ, प, फ, ब, भ, व, फनासिका ञ, म, ङ, ण, नकण्ठ तालु ए, ऐकण्ठ ओष्ठ ओ, औदन्त ओष्ठ व

४२ प्रत्याहाराः


माहेश्वर सुत्र से बने 42 प्रत्यहार जो संध्याद मे प्रयोग होतें हैं। निम्नलिखित १४ माहेश्वर सूत्र हैं। इनमें पूरी वर्णमाला इस प्रकार दी हुई है- क्रमश: स्वर, अन्तःस्थ, वर्ग के पंचम, चतुर्थ, तृतीय, द्वितीय, प्रथम वर्ण, ऊष्म । माहेश्वर सुत्र १. अइउण्२. ऋलृक्३. एओङ्४. ऐऔच्५. हयवरट्६. लण्७. ञमङणनम्८. झभञ्९. घढधष्१०. जबगडदश्११. खफछठथचटतव्१२. कपय्१३. शषसर्१४. हल् … Continue reading ४२ प्रत्याहाराः